daudnagar मुग़ल शाषण के दौरान एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केन्द्र होने के साथ साथ, पटना और बनारस के बीच होने के कारण और ग्रैंड ट्रंक रोड के नजदीक होने के कारण परिवहन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। चूँकि यह गया के करीब है और गया एक तीर्थ स्थान (पूर्वजों को पिंड देने का स्थान) था, इस रास्ते से काफी तीर्थ यात्री भी आया जाया करते थे। ठगी और लूट को हम नजरंदाज नहीं कर सकते। इसलिए daudnagar के इलाके में जान माल की सुरक्षा एक जरूरी शासकीय मुद्दा था। इसीलिए daudnagar में daudkhan ने एक बड़ा sarai बनवाया।
२००६ में प्रकाशित किताब INDIA BEFORE EUROPE (Cambridge यूनिवर्सिटी प्रेस) में daudnagar के sarai का उल्लेख मिलता है। इस sarai को daudkhan ने 1659 se 1664 के बीच बनवाया । Daud khan Kureshi बिहार में मुग़ल governor था और इस इलाके में उसने एक स्थानीय जमींदार को हराया जो मुग़ल शाषण के खिलाफ था। अब तो इस sarai के दरवाजों के अवशेष बचें हैं । पहले यह sarai चारों तरफ़ से दीवारों से घिरा था और इसके दरवाजे रात को बंद रहते थे। मैंने पहले ब्लॉग पर लिखा है की daudnagar में एक मोहल्ले का नाम है पटना का फाटक जो पहले एक दरवाजा जो पटना की दिशा में खुलता था, हुआ होगा। sarai के अन्दर पूजा के लिए मन्दिर और मस्जिद भी थे। चारों तरफ़ छोटे छोटे कमरे थे जैसे आधुनिक होटल के कमरे। बीच के खुले बड़े जगह पर मवेशी और व्यापारिक चीजों को रखने की जगह थी।इस sarai को लोग daudkhan का किला मानते हैं। अगर यह किला है तो sarai कहाँ गया। daudnagar में अभी भी एक sarai रोड है मगर वहां ऐतिहासिक दृष्टि से ऐसा कुछ भी नहीं। वहां देशी शराब की भट्टी है और कुछ वैश्ययों के घर , तो यह एक बदनाम सड़क है। जो चित्र इतिहासकारों ने sarai का दिया है जिसे मैंने ऊपर दिया है वह लोगों की नजरों में daudkhan का किला है। शायद और भी शोध की जरूरत है।
liked your post. Its interesting.
जवाब देंहटाएंblog ki duniya me apka swagat hai niyamit likhate rahe
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंjankari ke liye aabhar, narayan narayan
जवाब देंहटाएंAisi hi khoji jaankariyan baantte rahein. Swagat apni virasat ko samarpit mere blog 'Dharohar' par bhi.Shubhkaamnayein.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी है।आभार।
जवाब देंहटाएं